क्षण क्षण को,
इस मन को,
आनंदमयी कर दे;
सुख नभ भर कर
अब दे.
अंतर की ज्वाला है,
लम्बी एक माला है,
कण भर की तृप्ति को,
सदियों तक पाला है,
अब जब दे, बस सुख दे ,
सागर दे सूरज दे;
अंतर्मन तर कर दे,
मधुक्षण अब
भर-भर दे.
और फिर जब मधुक्षण दे
क्षण क्षण को
युग का - सा
कर दे.
Nice lines...quite absorbing!!!
जवाब देंहटाएंsunder khup chhan
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