मंगलवार, 11 मई 2010

नविन वर्ष फिर समक्ष

नवीन वर्ष

सूरज की किरणों का नव स्पर्श

नव आनंद , नव क्रंदन

नवीन वर्ष अभिनन्दन



मन उत्सुक ,

उठती है नव तरंग

अंग -अंग ;

खिलते हैं नवल पुष्प

ले सहस्त्र नवीन रंग



ले नवीन आशाएं ,

मन उड़ता नव उड़ान .

संकल्पों का उत्सव ,

देता है नवल प्राण .



नविन मार्ग , नवल लक्ष्य ,

और प्रयत्न लक्ष – लक्ष ;

लक्ष्यों का कर अर्जन ,

नित विजयी हो गर्जन .



कर प्रयत्न बार बार ,

मन न माने ये हार ;

कर गुंजित तन मन को ,

नविन लक्ष्य, लक्ष्य पार.



एक बाद एक लक्ष्य ,

वर्ष भर अनेक लक्ष्य;

मन विस्मृत समय काल ,

नविन वर्ष फिर समक्ष.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें