आग हूँ, मिट्टी हूँ, पानी हूँ, हवा हूँ मैं
मैंने कब किस से कहा है , के खुदा हूँ मैं ?
ज़र्द चेहरों में चमकता हुआ है रूख़ मेरा
मरा हुआ हूँ मैं भी मगर जुदा हूँ मैं
नहीं मुझे नहीं मंजूर हैं ये तेरे हिसाब
ये अब चाहे तो तू कह ले के सिरफ़िरा हूँ मैं
ये सारे रेंगते हैं कोहनियों पे घुटनों पे
अभी भी पैरों पे अपने मगर खड़ा हूँ मैं.