हालाँकि ये पोस्ट पुरानी है और मैं इसे पहले भेज चुका हूँ लेकिन आज बड़ी प्रासंगिक लगी इसलिए फिर से पोस्ट कर रहा हूँ. ...
"नरक चौदस के दिन
स्नान
सूर्योदय से पहले हो
वरना
नरक लगता है"
ऐसा बतलाती है माँ
और इसीलिए खुद जल्दी उठ
हमें उठा
हल्दी उबटन लगा
और नहलाती है माँ
हमारे बाद बारी होती है
घर के आँगन के बुहारे झाड़े जाने की
क्यों कि गन्दा घर नरक-सम होता है
बरसों से समझाती है माँ
क्रमशः हमें, पिता को, घर को, आँगन को,
नरक से मुक्त कराने के प्रयास के चलते
उग आता है सूर्य
और सूर्य के आँगन की दीवार पर चढ़ जाने तक
बिना नहाये रह जाती है माँ.
यही सिलसिला जारी है
बरसों से बदस्तूर .........