शुक्रवार, 28 जनवरी 2011

समंदर नए हैं

नयी हवाएं हैं , बवंडर नए हैं
सिर्फ तूफ़ान नहीं , समंदर नए हैं

ये पहले तीन थे , अब बढ़ गयी है इनकी आबादी
नए गाँधी हैं और बन्दर नए नए हैं

अलग ही तौर हैं पूजा के इनकी
नए भगवान् हैं , मंदर नए हैं

जो घर से निकलो , संभल कर निकलो
हर एक मोड़ पे मंजर नए हैं

के निकले हारने दुनिया को अपनी
हम नयी नस्ल के सिकंदर नए हैं

लिख्खा करते हैं बस यूं ही , इसे संजीदा न समझो
अरे बस जान लो कोठारीजी शायर नए हैं.

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