हो गए जख्म आम हैं साकी
और क्या इंतज़ाम है साकी
मैकदा, अश्क, और याद तेरी
बस ये चीज़ें तमाम हैं साकी
लोग सर फोड़ कर भी देख चुके
दुःख के पक्के मकान हैं साकी
जाम अश्कों के अब न छलकेंगे
दिल की बस्ती वीरान है साकी
जब नहीं सुनता, नहीं आता वो
कैसी तेरी अजान हैं साकी
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