बुधवार, 12 मई 2010

माँ है

माँ है तो लोरी है
कहानी है
माँ है तो बचपन की हर याद
सुहानी है.

माँ है तो निष्कपट प्रेम
की धार है
माँ है तो शक्ति है
आधार है .

माँ है तो दूध है
दूध का कर्ज है
माँ है बे असर
हर मर्ज है.

माँ है तो वात्सल्य है
ममता है
माँ है तो शीश कहीं और
कहाँ नमता है?

माँ है तो करुणा है
क्षमा है
माँ है तो
रोना मना है.

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