वो चुप है,कोई राज़ है इसमें गहरा
वर्ना अब तक चाल चल गया होता
कैसे कैसे खरीदने वाले
और होता ,फिसल गया होता
ये मेरे हौसलों की गर्मी है
वर्ना सूरज तो ढल गया होता
बंद हैं मैकदे और मय खारी
वरना गिर के संभल गया होता
ये तेरा इश्क है के ज़िंदा हूँ
वरना ये दम निकल गया होता
गर मरासिम की समझता कीमत
यूं न आँखों में खल गया होता
पाल रख्खी हैं बुरी आदतें खुद में वरना
मुझसे अल्लाह जल गया होता .
शुक्रवार, 28 जनवरी 2011
समंदर नए हैं
नयी हवाएं हैं , बवंडर नए हैं
सिर्फ तूफ़ान नहीं , समंदर नए हैं
ये पहले तीन थे , अब बढ़ गयी है इनकी आबादी
नए गाँधी हैं और बन्दर नए नए हैं
अलग ही तौर हैं पूजा के इनकी
नए भगवान् हैं , मंदर नए हैं
जो घर से निकलो , संभल कर निकलो
हर एक मोड़ पे मंजर नए हैं
के निकले हारने दुनिया को अपनी
हम नयी नस्ल के सिकंदर नए हैं
लिख्खा करते हैं बस यूं ही , इसे संजीदा न समझो
अरे बस जान लो कोठारीजी शायर नए हैं.
सिर्फ तूफ़ान नहीं , समंदर नए हैं
ये पहले तीन थे , अब बढ़ गयी है इनकी आबादी
नए गाँधी हैं और बन्दर नए नए हैं
अलग ही तौर हैं पूजा के इनकी
नए भगवान् हैं , मंदर नए हैं
जो घर से निकलो , संभल कर निकलो
हर एक मोड़ पे मंजर नए हैं
के निकले हारने दुनिया को अपनी
हम नयी नस्ल के सिकंदर नए हैं
लिख्खा करते हैं बस यूं ही , इसे संजीदा न समझो
अरे बस जान लो कोठारीजी शायर नए हैं.
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