गुरुवार, 1 दिसंबर 2011

पिछले कुछ दिनों से शौकिया फोटोग्राफी शुरू की है , कुछ चित्र प्रस्तुत हैं












तेरी अता क्या है

हमसफ़र मेरा वो नया-सा है

खुद को समझे वो रहनुमा-सा है


याद तो आऊंगा कभी उसको

दिल में मेरे भी ये गुमाँ सा है


उसकी साँसों में एक महक सी है

शख्स वो दिल का पासबाँ सा है


आंच होगी कहीं देखो

आज माहौल में धुंआ सा है


सब तबस्सुम हैं लब पे चस्प किये

इनसे पूछो के मामला क्या है


मुझको हासिल नहीं में कहता हूँ

तू ये कह दे तेरी अता क्या है

प्यार नया है

थोड़ी थोड़ी हाँ है मेरे दिल में तेरे दिल में भी.
मचले से अरमां हैं मेरे दिल में तेरे दिल में भी.


दोनों की आँखों में सारे भाव छुपे पर शब्द कहाँ
बस इतनी सी ना हैं , मेरे दिल में तेरे दिल में भी.

कह भी चुको अब कब तक दिल में जज़्ब किये बैठोगे यूँ ?
गूंजे ये अरमां हैं मेरे दिल में तेरे दिल में भी.

सब हैं सारे आस पास हैं पर जिसको बस ढूंढें दिल
ऐसा इक मेहमाँ है मेरे दिल में तेरे दिल में भी.

बुधवार, 9 मार्च 2011

मुझको वो मेरी तरह लगता है

बोलता है तो बुरा लगता है

मुझको वो मेरी तरह लगता है



कैसी चुप्पी है जबाँ पे उनकी

मामला आज टला लगता है



मुस्कुरा देता है जब देख अपनी बेटी को

तब वो इंसान भला लगता है



खूबसूरत , गुल ए गुलजार , या के जान मेरी

एक चेहरा है जो मुझको बला लगता है



ना समझते हैं वो आँख के इशारों को

हमको उनका ये मरासिम तो नया लगता है



यूँ नहीं आती हैं ये लाल लकीरें अक्सर

आज आँखों में मुझे तेरी धुंआ लगता है

शुक्रवार, 18 फ़रवरी 2011

मैं खोजता............ खुद ही को

कल फिर रहा मैं खोजता अपने वजूद को
कल फिर मेरी तलाश में भटका मैं दर ब दर

पूछा था उसने प्यार से क्या चाहिए हुज़ूर
इसका जवाब सोचता बैठा मैं कुछ पहर

शनिवार, 12 फ़रवरी 2011

हवा हूँ मैं

आग हूँ, मिट्टी हूँ, पानी हूँ, हवा हूँ मैं
मैंने कब किस से कहा है , के खुदा हूँ मैं ?

ज़र्द चेहरों में चमकता हुआ है रूख़ मेरा
मरा हुआ हूँ मैं भी मगर जुदा हूँ मैं

नहीं मुझे नहीं मंजूर हैं ये तेरे हिसाब
ये अब चाहे तो तू कह ले के सिरफ़िरा हूँ मैं

ये सारे रेंगते हैं कोहनियों पे घुटनों पे
अभी भी पैरों पे अपने मगर खड़ा हूँ मैं.

शुक्रवार, 28 जनवरी 2011

वो चुप है,कोई राज़ है इसमें गहरा
वर्ना अब तक चाल चल गया होता


कैसे कैसे खरीदने वाले
और होता ,फिसल गया होता

ये मेरे हौसलों की गर्मी है
वर्ना सूरज तो ढल गया होता

बंद हैं मैकदे और मय खारी
वरना गिर के संभल गया होता

ये तेरा इश्क है के ज़िंदा हूँ
वरना ये दम निकल गया होता


गर मरासिम की समझता कीमत
यूं न आँखों में खल गया होता

पाल रख्खी हैं बुरी आदतें खुद में वरना
मुझसे अल्लाह जल गया होता .